Madhu varma

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लेखनी कहानी - बिना आँखों वाले क्रोधी मुंड का त्रांडव

बिना आँखों वाले क्रोधी मुंड का त्रांडव

मेरा नाम विकास खेलकर है | मैं लातूर में रहता है | मेरे आई बाबा नें बहुत खर्चा कर के मेरे को पढाया | लेकिन मेरे को हमेशा अच्छी जॉब के वांधे रहे हैं | अब खर्चा पानी चलाने के लिए कुछ ना कुछ तो करना ही था | इसलिए मैंने एक चिप्स फैक्ट्री में सुपरवाइज़र का नौकरी ले लिया | मेरा शिफ्ट 11 बजे रात में शुरू होता था इस लिए मैं आराम से खाना-गिना खा के नौकरी पे चला जाता था | उस रात करीब 1 बजे फेक्टरी का पावर सिस्टम शोट हो गया | सेठ बोला चारो लोग घर चले जाओ | आज छुट्टी | मेरे तीनो कलिग घर को निकल गए | लेकिन मै किसी कीमत पर अँधेरे में सायकिल पर घर को नहीं जाने वाला था | सेठ बोला की, ताला लगा के ही फेक्टरी में सोजा | मैंने शायद वही डेंजर गलती कर दिया | मुझे क्या पता था ऐसा करने पर मुझे खून के आंसू रोना पड़ेगा |

सब के जाने के बाद मैंने अंदर से ताला लगाया | तभी अचानक आलू छिलने का मशीन का पहिया घुमने लगा | एक पल के लिए मेरी हालत पतली हो गयी | मेरी धड़कन तेज़ हो गयी | मैं चिल्लाया… कौन है वहां,,, लेकिन कोई जवाब नहीं आया | मैं फुर्ती से ताला खोल के फेक्टरी से बहार जाने लगा | लेकिन पनवती कहींका, ताला खुल ही नहीं रहा था | धीरे धीरे मुझे एहसास होने लगा की, मेरे आसपास गरम हवाएं चलने लगी | सच्ची बोलू उस टाइम, मेरे को रोना आ रहा था | लेकिन मैं हिम्मत कर के दुसरे दरवाजे की और भागा | में किसी भी तरह फेक्टरी के बहार निकलना चाहता था |

अचानक मेरी नज़र एक फावड़े पर गयी | मैं उसे उठा कर दरवाज़े पर ठोकने लगा | मेरा ऐसा करने पर एक अजीब घटना हुई | मेरा शरीर तेखाने की और खींचने लगा | जैसे कोई अदृश्य रूह मुझे अँधेरे में घसीटना चाहती हो | धीरे धीरे मेरे को एहसास हो रहा था की मौत करीब है | मुझे बार बार आई-बाबा का ध्यान आ रहा था | डर भगाने के लिए मैंने ज़ोर ज़ोर से बडबडाना चालू किया | मेरा ऐसा करने पर तो वहां पर और माहोल खराब हो गया |

अचानक मेरी नज़र बिजली के स्विच बोक्स की और गयी | वहां पर एक गंजा मुंडी नज़र आया | उसका चेहरा साफ़ नहीं था | मैंनें थोडा और साइड हो कर उसे देखा तो मेरी चीख निकल गयी | उस मुंड की आँखें नहीं थी और उसके आसपास घना काला धुआ था | मैं फिर एक बार फेक्टरी का ताला खोलने की नाकाम कोशिस लगा | तभी एक जटके से मेरा इमर्जन्सी लाईट ऑफ़ हो गया | अब मैं घोर अधेरे में खड़ा पागलों की तरह चीखें मार रहा था |

कुछ ही देर में मेरे पैर ठन्डे पड़ गए | मैं उसी जगह घुटनों पर बैठ गया | मेरी सांस उखड रही थी | शायद में आने वाली भयानक मौत के लिए मन ही मन तैयार हो रहा था | अधमरी सी हालत में मुझे महसूस हुआ की, एक फौलादी पंजे नें मुझे खींचना शुरू किया | उस भयानक रूह की घटिया गंध को याद कर के मेरे को आज भी उब्कियाँ आ जाती है | कुछ देर बाद महसूस हुआ की, मैं ढेर सारी परछाईयों के बिच में अधमरा सा पड़ा था | वह सब एक दुसरे की और देख कर फुसफुसा रहे थे | जैसे कोई चांडाल का दल शिकार खाने से पहले बात चित कर रहा हो |

धीरे धीरे उन सब की आवाजें तेज़ होने लगी | मैंने नज़र दौड़ाई तो मुझे वही गंजा बिना आँखों वाला गुस्सेल मुंड सामने दिखा | अचानक उसने गरम खोलता हुआ पंजा आगे बढाया और मुझे दरवाज़े की और खींचना शुरू किया | इस घटना के बाद में होश खो बैठा | सुबह हुई तो मैंने देखा की, मैं फेक्टरी के बाहर मिटटी पर पड़ा था | मैं अपना हाथ पैर हिला नहीं पा रहा था | सुबह की शिफ्ट वाले कारीगर आये | तब मुझे अस्पताल ले गए | डॉक्टर बोला, मायनर हार्टअटैक हुआ है | उस टाइम के बाद मेरे को लगातार ब्लडप्रेशर की दवाई भी खानी पड़ती है | मै वो नौकरी भी छोड़ दिया | भगवान् जाने फेक्टरी में क्या बला थी और ताला बंद फेक्टरी से मैं बहार कैसे आ गिरा | गणपति देवा की कृपा है वरना आज यह बात बताने को मैं जिंदा नहीं होता |

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